ग्रुप कैप्टन से लेकर फ्लाइट लेफ्टिनेंट और तकनीकी स्टाफ तक, हर सैनिक ने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखते हुए मिशन को सफल बनाया।
नई दिल्ली। 15 अगस्त को जब पूरा देश तिरंगे के नीचे आज़ादी का जश्न मना रहा था, तब राष्ट्रपति भवन में एक और ऐतिहासिक क्षण दर्ज होगा—भारतीय वायुसेना के 36 जांबाज़ वायुसैनिकों को "ऑपरेशन सिंदूर" में उनके अदम्य साहस, रणनीतिक कौशल और राष्ट्रभक्ति के लिए वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। यह विशेष सैन्य अभियान, जो हाल ही में सीमावर्ती क्षेत्र में अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में संपन्न हुआ, भारतीय सैन्य इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा । ग्रुप कैप्टन से लेकर फ्लाइट लेफ्टिनेंट और तकनीकी स्टाफ तक, हर सैनिक ने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखते हुए मिशन को सफल बनाया—कभी दुर्गम पहाड़ियों में उड़ान भरते हुए, तो कभी सीमावर्ती इलाकों में जान की परवाह किए बिना ज़मीन पर मोर्चा संभालते हुए।इन वीरों को शौर्य चक्र, वायु सेना मेडल (वीरता) और विशिष्ट सेवा पदक जैसे सम्मान प्रदान किया जाएगा। जो न केवल उनकी बहादुरी का प्रमाण होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी होगा।
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