BREKING NEWS: जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग की तलवार, लोकसभा में गरमाई न्यायपालिका बनाम संसद की बहस।

BJP ने इसे "संवैधानिक प्रक्रिया का हिस्सा" बताया है।  
- BSP और अन्य विपक्षी दलों ने इसे "न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला" करार दिया है।  
जज पर संसद का शिकंजा — क्या न्यायपालिका की गरिमा बच पाएगी?"  
- "महाभियोग बनाम इस्तीफा — जस्टिस वर्मा के सामने दोराहा!"
नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे देश की न्यायपालिका और संसद के बीच तनावपूर्ण बहस तेज हो गई है; अब जस्टिस वर्मा के सामने दो ही विकल्प हैं—या तो वे महाभियोग की संवैधानिक प्रक्रिया का सामना करें, जिसमें संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी, या फिर स्वेच्छा से इस्तीफा देकर इस संकट से बाहर निकलें; इस घटनाक्रम को लेकर राजनीतिक दलों और कानूनी विशेषज्ञों में तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं, जहाँ कुछ इसे न्यायिक जवाबदेही की जीत मान रहे हैं, तो कुछ इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खतरा बता रहे हैं।

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