BREKING NEWS: सुशासन के लिए त्वरित और सुलभ न्याय आवश्यक: सीएम योगी

लखनऊ में न्यायिक सेवा संघ के 42वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए विकसित उत्तर प्रदेश का निर्माण जरूरी है। योगी ने अधिवेशन को न्यायिक अधिकारियों का "महाकुंभ" करार दिया और संघ को 50 करोड़ रुपये की सहायता देने की घोषणा की।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि सुशासन की परिकल्पना तभी साकार हो सकती है जब न्यायिक व्यवस्था सभी नागरिकों के लिए सरल, सुलभ और त्वरित हो। राजधानी में आयोजित उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ के 42वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका सुशासन की आधारशिला है और राज्य सरकार उसके सशक्तिकरण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि “विकसित भारत” के लक्ष्य को पूरा करने के लिए “विकसित उत्तर प्रदेश” का निर्माण आवश्यक है और इसके लिए न्याय की प्रणाली को मजबूत और तत्पर बनाना ज़रूरी है। इस अवसर पर उन्होंने संघ की स्मारिका का लोकार्पण किया और न्यायिक सेवा संघ के लिए 50 करोड़ रुपये के कोष की स्थापना की घोषणा भी की।
योगी आदित्यनाथ ने अधिवेशन को न्यायिक समुदाय का "महाकुंभ" बताते हुए कहा कि यह केवल एक मेल-मिलाप का अवसर नहीं, बल्कि अनुभव साझा करने और नई कार्यप्रणालियों को बढ़ावा देने का मंच भी है। उन्होंने इसे संविधान में निहित मूल मूल्यों—न्याय, स्वतंत्रता और बंधुता—से जोड़ते हुए कहा कि यह आयोजन संविधान की भावना का प्रतीक है। 
प्रयागराज के महाकुंभ का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार वह देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता को दर्शाता है, उसी तरह यह अधिवेशन न्यायिक अधिकारियों के आपसी सहयोग और पेशेवर क्षमता का प्रतीक है। उन्होंने गर्व जताते हुए कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उसकी लखनऊ खंडपीठ प्रदेश की पहचान को सशक्त करते हैं और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश की विश्वसनीय छवि प्रस्तुत करते हैं।

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