जानसठ के एसडीएम सस्पेंड, 3 करोड़ की रिश्वत का था मामला!

संवाददाता- योगेश कुमार 
मुज़फ्फरनगर। जानसठ तहसील के एसडीएम जयेंद्र सिंह को सस्पेंड कर दिया गया। आरोप है कि उन्होंने करीब तीन करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर 750 बीघा सरकारी और सोसायटी की जमीन भूमाफिया के नाम दर्ज कर दी थी। रॉयल बुलेटिन ने यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी जिसके बाद ज़िले में हंगामा मच गया था। देखे पूरी खबर-यह विवाद गांव इसहाकवाला की जमीन से जुड़ा है। 1962 में बनी डेरावाल कोऑपरेटिव फार्मिंग सोसायटी के नाम पर करीब 743 हेक्टेयर (900 बीघा) जमीन दर्ज है।
लंबे समय से सोसायटी के सदस्य गुलशन और हरबंस के वारिसों के बीच विवाद चल रहा था। 2018 में तहसील प्रशासन ने हाई कोर्ट को बताया था कि हरबंस का इस जमीन पर कोई हक नहीं है।बड़ा आरोप: ₹3 करोड़ रिश्वत और 750 बीघा ट्रांसफर
19 जुलाई 2025 को एसडीएम जयेंद्र सिंह ने आदेश जारी कर दिए — सोसायटी की 600 बीघा और सरकारी 150 बीघा जमीन एक व्यक्ति अमृतपाल के नाम दर्ज कर दी गई। ग्रामीणों और सोसायटी सदस्यों का आरोप है कि इस सौदे के एवज में ₹3 करोड़ की रिश्वत ली गई।
यह ट्रांसफर न केवल विवादित था, बल्कि हाई कोर्ट के पुराने आदेशों और तहसील रिकॉर्ड को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करता था।



जांच ने खोली पोल
जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने इस प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की थी, जिसमें अपर जिलाधिकारी प्रशासन संजय सिंह, अपर जिलाधिकारी वित्त गजेंद्र सिंह और अपर जिलाधिकारी न्यायिक शामिल थे।

जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में एसडीएम जयेंद्र सिंह को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की। यह रिपोर्ट जिलाधिकारी ने शासन को भेज दी थी।

शासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जयेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया है।गांव इसहाकवाला और सोसायटी के सदस्यों का कहना है कि यह पूरा मामला भूमाफियाओं और अफसरों की मिलीभगत से किया गया।
ग्रामीणों का आरोप है कि जमीन हाईवे के किनारे है, इसलिए इसकी कीमत अरबों रुपये में है और यही कारण है कि इसे हड़पने की कोशिश की गई।

प्रशासन का कहना है कि मामले की पूरी जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर विभागीय व कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल जमीन पर कोई नया नाम दर्ज नहीं किया जाएगा।

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