जीवित्पुत्रिका व्रत में माताओं की आस्था का अद्भुत संगम — आजमगढ़ के घाटों और गांवों में गूंजा धर्म का स्वर!

 निर्जला तपस्या में लीन माताएं — पुत्र की दीर्घायु के लिए किया भगवान जीमूतवाहन का पूजन।

 शिवाला घाट से बददोपुर तक श्रद्धा का उत्सव — जीवित्पुत्रिका व्रत में उमड़ा महिला शक्ति का सैलाब।
संवाददाता - जगदंबा उपाध्याय/अब्दुल कैश 
आजमगढ़। जनपद के बददोपुर गांव और निजामाबाद के शिवाला घाट पर रविवार को अश्विन मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि पर जीवित्पुत्रिका व्रत का आयोजन पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में सम्पन्न हुआ। जगदम्बा उपाध्याय के नेतृत्व में बददोपुर में महिलाओं ने निर्जला उपवास रखकर भगवान जीमूतवाहन की विधिवत पूजा की और व्रत कथा का श्रवण किया। वहीं निजामाबाद के शिवाला घाट पर व्रती माताओं की भारी भीड़ जुटी, जिन्होंने तीन दिन तक बिना जल ग्रहण किए कठोर तपस्या कर पुत्रों की दीर्घायु, सुख और समृद्धि की कामना की। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत महाभारत काल से जुड़ा है, जब श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भस्थ पुत्र को पुनर्जीवित किया था। इस अवसर पर घाटों पर मेले जैसा माहौल रहा और प्रशासन ने सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की थी। व्रती महिलाओं ने भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर सामूहिक रूप से कथा श्रवण किया, जिससे पूरे जनपद में धर्म और आस्था की गूंज सुनाई दी।

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