संविधान की गरिमा पर हमला अब नहीं सहेंगे — जवाब अयोध्या से शुरू हो चुका है!
"धर्म की आड़ में दलितों का अपमान नहीं चलेगा — अब हर मंच से उठेगी न्याय की आवाज़!
अयोध्या। जनपद में आयोजित एक जनसभा के दौरान भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने संत रामभद्राचार्य के हालिया विवादित बयान पर तीखा प्रतिवाद करते हुए कहा कि "संविधान की गरिमा को ठेस पहुँचाने वालों को अब जवाब मिलेगा, चाहे वो किसी भी चोले में हों।" उन्होंने स्पष्ट किया कि अयोध्या सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों की भी भूमि है। चंद्रशेखर ने कहा कि देश की आत्मा संविधान में बसती है, और उसे चुनौती देने वाले चाहे संत हों या नेता, अब चुप नहीं बैठेंगे।
सभा में मौजूद हजारों समर्थकों ने उनके बयान पर तालियों की गड़गड़ाहट से समर्थन जताया, वहीं सोशल मीडिया पर भी यह प्रतिक्रिया वायरल हो रही है। उन्होंने कहा कि "राम का नाम लेकर अगर कोई दलित, पिछड़े या वंचित वर्गों को अपमानित करता है, तो वह न राम का भक्त है, न राष्ट्र का हितैषी।" चंद्रशेखर ने यह भी जोड़ा कि "हम राम को मानते हैं, लेकिन संविधान को पूजते हैं।" इस बयान को राजनीतिक हलकों में भी गंभीरता से लिया जा रहा है, क्योंकि यह सीधे तौर पर धार्मिक मंचों से हो रहे सामाजिक विभाजन पर सवाल उठाता है। अयोध्या की धरती पर दिया गया यह जवाब सिर्फ एक संत को नहीं, बल्कि उस सोच को चुनौती है जो धर्म के नाम पर संविधान को कमजोर करना चाहती है।
चंद्रशेखर आज़ाद की यह प्रतिक्रिया न सिर्फ उनके समर्थकों के लिए प्रेरणा है, बल्कि उन सभी नागरिकों के लिए चेतावनी भी है जो संविधान विरोधी विचारों को सामान्य मान बैठे हैं। अयोध्या में गूंजे इस स्वर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सामाजिक न्याय की लड़ाई अब सिर्फ सड़कों पर नहीं, धार्मिक मंचों पर भी लड़ी जाएगी।
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